MP : Ex CM उमा भारती बोलीं- योगिनी और मां अन्नपूर्णा इंडिया आ सकती हैं तो मां वाग्देवी क्यों नहीं? सरकार की फिर बढ़ाई चिंता

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The Sootr CG
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MP : Ex CM उमा भारती बोलीं- योगिनी और मां अन्नपूर्णा इंडिया आ सकती हैं तो मां वाग्देवी क्यों नहीं? सरकार की फिर बढ़ाई चिंता

प्रवीण शर्मा, BHOPAL. शराबबंदी की मांग कर सरकार की दुखती रग पर बार-बार हाथ रखने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (Ex CM Uma Bharti) ने आज अपने ट्वीट के जरिए प्रदेश के बहुसंख्यकों की कमजोर नस समझे जाने वाले मुद्दे को हवा दे दी है। पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट में सवाल उठाया है कि जब कनाडा (Canada) से योगिनी Yoginiऔर लंदन (London) से मां अन्नपूर्णा (mother Annapurna) की प्रतिमा आ सकती है तो धार भोजशाला में भी मां वाग्देवी (mother Vagdevi) की प्रतिमा भी वापस लाई जा सकती है। उनकी इस मांग से एक बार फिर केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार उनके निशाने पर आ गई है। धार (Dhar) की भोजशाला (Bhojshala) और उससे जुड़ा यह मामला अयोध्या और ज्ञानवापी की तरह एक ज्वलंत मुद्दा है और इसे लेकर हर साल तनाव की स्थिति बनती है।







vagdevi



मां वाग्देवी







शराबबंदी की मांग पर अपनी ही पार्टी की सरकार और संगठन को भोपाल (Bhopal) से दिल्ली (Delhi) तक हिला रहीं पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने चौथे दिन ट्वीट का ​सब्जेक्ट बदल दिया है। कल (10 जुलाई 2022) तक अपनी आस्था से जुड़ी शराब बंदी की बात पर जोर दे रहीं उमा भारती ने आज (11 जुलाई 2022) को  हिंदुओं की धार्मिक आस्था को टच कर सरकार को जगाने का काम किया है। वैसे तो यह मांग हर साल वसंत पंचमी के दिन प्रदेश भर की जाती है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री ने वसंत पंचमी से अलग मध्यप्रदेश की 147 पुरानी मांग को वसंत पंचमी से इतर उठाया है। उनकी यह मांग भी जहां प्रदेश की शिवराज सरकार के गले पड़ना तय है तो केंद्र तक भी इसकी आंच निश्चित रूप से पहुंचेगी। आने वाले दिनों में इसे लेकर कोई आंदोलन या अभियान भी छिड़ जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं। इसकी वजह है वसंत पंचमी पर हर साल धार में उठने वाला भावनाओं का ज्वार। यहां तनाव पूर्ण माहौल में इस प्रतिमा का लंदन से वापस लाने की मांग हर साल उठती है। अखिल भारतीय हिंदू महासभा इस ज्ञान व बुद्धि की देवी वाग्देवी की प्रतिमा लंदन से वापस लाने का संकल्प लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाती रहती है। हिदुओं के कई संगठन इस मांग को लेकर अदालत तक में याचिका दायर कर चुके हैं। वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी (Dr subramarium Swami) तो इस संबंध में यूके की अदालत में भी याचिका दायर कर चुके हैं।







— TheSootr (@TheSootr) July 11, 2022





क्या है वाग्देवी की प्रतिमा का महत्व





पूर्व सीएम भारती ने अपने ट्वीट में राजा भोज द्वारा बनवाई गई धार की भोजशाला में मिली मां वाग्देवी की प्रतिमा को भारत लाने की मांग की है। साथ ही यूपी के चित्रकूट व काशी की दोनों प्राचीन प्रतिमाओं का हवाला भी उन्होंने दिया है। साथ ही अपनी उम्मीद का बोझ भी केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकारों पर रख दिया है। उन्होंने अपने ट्वीट के आखिरी में लिखा है कि वाग्देवी की प्रतिमा भारत वापस लाई जा सकती है। इसमें कोई अड़चन नहीं है केंद्र व राज्य दोनों जगह हमारी सरकारें हैं। वाग्देवी की यह प्रतिमा भोजशाला में खुदाई में मिली थी और एक अंग्रेज मेजर किनकेड नामक राजनीतिक उसे 147 साल पहले इंग्लैंड ले गया था। यह प्रतिमा आज भी इंग्लैंड के एक म्यूजियम में कांच के शोकेस में बंद है। असल में उमा ने अपनी इस मांग के लिए केंद्र सरकार के उन कदमों को आधार बनाया है, जिसके तहत पिछले दिनों उत्तरप्रदेश के चित्रकूट और काशी में दो प्राचीन प्रतिमाएं विदेश से लाकर दोबारा स्थापित कराई गई हैं। दूसरी तरफ वाग्देवी का भी ऐतिहासिक महत्व है। मूर्ति भूरे रंग के क्रिस्टल से बनी है। यह मूर्ति अत्यंत चमत्कारी, मनमोहक और शांत मुद्रा वाली है। ध्यान में स्थित वाग्देवी की यह प्रतिमा विश्व की सबसे सुंदर कलाकृतियों में से एक मानी जाती है। यह मूर्ति भोजशाला के पास खुदाई के दौरान मिली थी। भोजशाला वर्तमान में भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग के अधीन है। भोजशाला का निर्माण परमार वंश के राजा भोज ने अध्ययन के उद्देश्य से करवाया था। वर्ष 1305 में, इस्लामी आक्रमणकारी अलाउद्दीन खिलजी ने भोजशाला पर हमला किया और वाग्देवी की मूर्ति को नष्ट कर दिया था।





हिंदुओं से सीधे जुड़ा है मामला





इस मामले को लेकर हिंदू हर साल ही सक्रिय होते हैं। ज्ञानवापी, श्रीकृष्ण जन्म भूमि, अयोध्या की तरह धार की भोजशाला और वाग्देवी की प्रतिमा को लेकर हिंदू संगठन किसी भी तरह समझौता करने के पक्ष में नहीं हैं। इसे लेकर केंद्र और राज्य की सरकारों को घेरने के अलावा हिंदू संगठन अपनी भावनाएं लेकर अदालत भी पहुंच चुके हैं। सरस्वती प्रतिमा को वापस लाने के लिए सुब्रमण्यम स्वामी ने वर्ष 2011 में यूके की अदालत में मुकदमा दायर किया था। स्वामी को उम्मीद थी कि जिस तरह नटराज की मूर्ति वापस आई थी, वैसे ही वाग्देवी वापस आ जाएंगी। वाग्देवी की इस प्रतिमा के बिना धार की भोजशाला में हर बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा का भव्य आयोजन होता है। भोजशाला का विवाद से वही संबंध है जो मथुरा-काशी का है। हिंदू महासभा ने पिछले साल वसंत पंचमी पर वाग्देवी की प्रतिमा को भारत वापस लाकर भोजशाला में दोबारा स्थापित कराने का संकल्प लेकर केंद्र और राज्य सरकार को ज्ञापन दिया था। इसके अलावा हिंदू फंंट फॉर जस्टिस ने इस प्रतिमा को वापस लाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिका 2 मई को याचिका भी दायर की है।





क्या है भोजशाला का इतिहास







  • सन् 1875 में धार भोजशाला मां सरस्वती मंदिर से ब्रिटिश शासन ने मां सरस्वती की प्रतिमा को हटाकर लंदन भिजवाया था। वह प्रतिमा ‌आज भी लंदन के म्यूजियम में रखी हुई है। 



  • 147 साल में किसी भी सरकार या प्रधानमंत्री ने प्रतिमा वापस लाने कोई एक्शन नहीं लिया है। केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित कराने इस साल वसंत पंचमी पर मां सरस्वती प्रतिमा विस्थापित स्मृति दिवस मनाया गया। जिसमें मां सरस्वती की प्रतिमा का पूजन कर लदन के म्यूजियम में रखी प्राचीन प्रतिमा को वापस लाने के लिए अभियान चलाने का संकल्प लिया गया है। ब्रिटिश म्यूजियम ग्रेट रसल स्ट्रीट में है। 


  • ब्रिटेन के जिस संग्रहालय में वाग्देवी की प्रतिमा रखी है, वहां मां दुर्गा, महावीर स्वामी की प्रतिमाएं भी रखी हैं। 


  • इस सफेद पत्थर की चार हाथ वाली सुंदर प्रतिमा के नीचे लिखे 1034 ईस्वी के शिलालेख पर  पंक्तियां अंकित हैं। वाग्देवी की इस प्रतिमा का नाम बदलकर अंबिका कर दिया है। शिलालेख पर तीन लाइनें और लिखी हैं, लेकिन उसके अक्षर टूट गए हैं।






  • उमा की मांग और सरकार की परेशानी





    पूर्व मुख्यमंत्री दो दिन पूर्व ट्वीट के जरिए अपना जीवनवृत बताते हुए उन्होंने अपने आराध्य, आस्था और अभियानों की प्राथमिकता भी सभी को बताई है। धर्म प्रचार भी उनका प्रमुख एजेंडा है। ऐसे में धार की भोजशाला व वाग्देवी की प्रतिमा का मुद्दा उन्हें उनके एजेंडे को ही आगे बढ़ाने का काम करेगा। वहीं इससे लाखों धर्मावलंबियों की भावनाएं भी जुड़ी हुुई हैं। दूसरी ओर राज्य सरकार अब तक इस मांग पर अपनी ओर से सहमति नहीं दे सकी है। चार साल पहले सदन में भी यह मामला उठ चुका है, इसे जवाब को लेकर सरकार और शासन उलझन में आ गए थे। मुख्यमंत्री चौहान ने भी जो जवाब सदन में दिया था, उसमें भी भरपूर कोशिश की गई थी कहीं वह आश्वासन न बन जाए। लगभग यही स्थिति केंद्र शासन की है। मगर अब एमपी और यूपी के बीच भेदभाव के आरोप लग सकते हैं।





    कनाडा से काशी पहुंचीं मां अन्नपूर्णा







    अन्नपूर्णा



     मां अन्नपूर्णा







    मान्यता है कि शिव की नगरी काशी में मां पार्वती अन्नपूर्णा के रूप में विराजमान हैं और उन्होंने खुद भगवान भोले को भिक्षा दी थी। तभी से मिले वरदान के तहत माना जाता है कि काशी में कोई भी शख्स भूखा नहीं सो सकता, क्योंकि उसका पेट खुद मां अन्नपूर्णा भरती हैं। मगर मां अन्नपूर्णा की यह प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व वाली प्रतिमा करीब सौ साल पहले चोरी होकर कनाडा पहुंच गई थी।  भारत सरकार की कोशिश और लंबे इंतजार के बाद अब यह मूर्ति वापस काशी लौटी है और पिछले साल नवंबर में ही पूरे विधि विधान और हर्षोल्लास के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के ईशान कोण में इसे पुर्न स्थापित किया गया। कनाडा से वापस मिलने के बाद इस प्रतिमा दिल्ली से जौनपुर लाकर यहां से रथयात्रा के साथ वाराणसी लाया गया।





    लंदन के एक पार्क में पड़ी थी बुंदेलखंड की योगिनी की प्रतिमा







    योगिनी



    देवी योगिनी







    10वीं शताब्दी की भारतीय देवी की मूर्ति बुंदेलखंड के बांदा जिले में लोखरी मंदिर से 40 साल पहले हुई थी चोरी। मकर संक्रांति के अवसर पर भारत को लौटा दी गई योगिनी की प्राचीन मूर्ति लंदन उत्तर प्रदेश के एक गांव के मंदिर से 40 साल पहले अवैध रूप से हटाई गई। यह प्रतिमा इंग्लैंड में एक बगीचे से मिली, जो इस साल संक्रांति पर भारत को लौटा दी गई। ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त गायत्री इस्सर कुमार ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में, मूर्ति को वापस भेजने में मदद करने वाले संगठन आर्ट रिकवरी इंटरनेशनल के क्रिस मारिनेलो से मूर्ति को औपचारिक रूप से अपने नियंत्रण में लिया। अक्टूबर 2021 में उच्चायोग को इसके बारे में सूचित किए जाने के बाद प्रत्यावर्तन की प्रक्रिया को रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया। साथ ही इसे एएसआई को सौंप दिया गया। योगिनी तांत्रिक पूजा पद्धति से जुड़ी शक्तिशाली देवियों का एक समूह है। उन्हें एक समूह के रूप में पूजा जाता है।



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